Tuesday, November 15, 2011

ho sapno ka jahan.........


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Wednesday, October 5, 2011

मेरे अपने अक्सर मुझसे रूठ जाया करते हैं ,


मेरे अपने अक्सर मुझसे रूठ जाया करते हैं ,
खुली आँखों के सपने अक्सर टूट जाया करते है....


ना मार पत्थर तू ठहरे पानी में कभी ,
छू लेने से ही लहरे बिखर जाया करती हैं !


परवा ना कर तू अगर कोई साथ न दे ,

तम में तो अक्सर परछाई भी साथ छोड़ जाया करती है !


मौसम की तरह बदल जाया कोई  तो गम न करना तू ,
ये तो दस्तूर है मौसम अक्सर बदल जाया करते हैं !



मेरे अपने अक्सर मुझसे रूठ जाया करते हैं ,
खुली आँखों के सपने अक्सर टूट जाया करते है....

Wednesday, September 28, 2011

अक्सर ख़ुद से ही बातें करती हूँ क्यूँ ,

अक्सर ख़ुद से ही बातें करती हूँ क्यूँ ,
उलझी उलझी से रहती हूँ क्यूँ ?
आँखों में सपने आते है क्यूँ
और आते है तो जाते हैं क्यूँ ?
अम्बर ये नीला होता है क्यूँ
और होता हैं तो इतना ऊंचा है क्यूँ ?
हरा समन्दर होता है क्यूँ ,
और होता है तो इतना गहरा है क्यूँ ?
कीचड़ में ही कमल खिलता है क्यूँ
और खिलता है तो इतना निर्मल हैं क्यूँ ?
इन्द्रधनुष क्यूँ सात रंग का
और इतना सुंदर होता है क्यूँ ?
सूरज पूरब में उगता है क्यूँ
और ढलता फिर पिश्चम में ही क्यूँ ?
मस्त हवा चलती है क्यूँ ,
और जब चलती हैं तो दिखती नही क्यूँ ?
जो बीत गया है वो कल है क्यूँ ,
और आने वाले दिन को भी कल कहते है क्यूँ ?
अक्सर ख़ुद से ही बातें करती हूँ क्यूँ ,
उलझी उलझी से रहती हूँ क्यूँ ?

Friday, September 16, 2011

बचपन के गलियारे

कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !!
नन्ही नन्ही आँखों के सपने ,
बात बात पे आंसू छलके ,
फिर माँ का प्यार से भरना बांहों में ,
फिर रोते रोते हँस देते ,
कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !
पल पल के वो दोस्त हमारे ,
पल भर के वो गुस्से  ,
मुहं चिडाकर बात न करना ,
थोड़ी देर में फिर हुडदंगे ,
खेल खेल में लड़ते लड़ते ,
शाम तलक सब भुलये ,
कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !!
मस्त हुए सब अपनी ही धुन में ,
जाने क्या क्या करते ,
कभी तितलियों के पीछे दोड़े ,
कभी किसी के पीछे ,
न जाने क्या मिलता था उनमे ,
थे जो नासमझी के सपने ,
कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !!

माँ

माँ याद हँ हमें , कुछ नही भूले !


सोचते सोचते ताउम्र बीत जायेंगी !

सोचते सोचते ताउम्र बीत  जायेंगी !
उलझनों  में पूरी उम्र कट जायेंगी !!
जीवन में मुश्किले तो आएँगी ,
पर मुश्किलों में भी कश्ती पार  हो जायेंगी ,
कहने से कुछ होता नही ,
कदम बढोंगे तो मंजिल ख़ुद ब ख़ुद मिल जायेंगी
परिंदों को यूँ आकाश नही मिल जाता ,
उनके जैसे होंसला हो  तो,
हर मुश्किल आसान नज़र आएँगी ,
थम जायेंगी ये चलती हुई हवा भी ,
कोशिश करोगे तो ज़िन्दगी संवर जायेंगी ,
सोचते सोचते ताउम्र बीत  जायेंगी !
उलझनों  में पूरी उम्र कट जायेंगी !!

मेरी परवाज़

होगी खबर एक दिन तुम्हे मेरी परवाज़ की !
जब ज़माने में अपनी भी पहचान होगी !!
कमी होगी तब तुम्हे मेरे अहसास की !
जब मेरे तक पहुचने की कोई राह न होगी !!
कमियां है हमे तो हुनर भी कुछ कम नही !
एक दिन इन्ही हुनरो की अपनी ही बात होगी !!
नेक नही हम तो नेकी भी कुछ कम नही !
मेरी दुओं की में तेरी ही बात होगी !!
दोस्तों के लिए ज़िन्दगी के कुछ पल कम नही !
एक दिन ये ज़िन्दगी भी उनके नाम होगी !!
झुक जाये हम वो इंसान नही !
किसी एक की खातिर ये ज़िन्दगी भी कुर्बान होगी !!
आज संग है तेरे , कल तेरी यादो में होगे !
नमी के कुछ कतरे तेरी आँखों में होंगे !!
खुलेगी जब ज़िन्दगी में यादों की किताब !
होंठो  पे हंसी आँखों में तेरी नमी होगी !!

होगी खबर एक दिन तुम्हे मेरी परवाज़ की !
जब ज़माने में अपनी भी पहचान होगी !!

कल की एक कहानी

आज जो  तेरी मेरी बातें हैं ,
कल की एक कहानी हैं !
दुःख में ढलती शाम कहीं ,
कहीं ऋतुये बड़ी सुहानी हैं !
छलके मोती कहीं अंखियो से,
कहीं खुशियों की किलकारी हैं !
नाउम्मीदी के पल जीवन में कहीं ,
कहीं आशाओ की बिखरी नई किरण हैं !
गुंजन करते भंवरे बगियन में ,
कहीं तितली की कोई कहानी हैं !
घास पे लिपटी कहीं ओस की बूंदे,
कहीं रिमझिम बरसता पानी हैं !
कहीं दूर है कोई पास मगर ,
कहीं पास है फिर भी दूरी हैं
आज जो  तेरी मेरी बातें हैं ,
कल की एक कहानी हैं !