Friday, September 16, 2011

बचपन के गलियारे

कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !!
नन्ही नन्ही आँखों के सपने ,
बात बात पे आंसू छलके ,
फिर माँ का प्यार से भरना बांहों में ,
फिर रोते रोते हँस देते ,
कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !
पल पल के वो दोस्त हमारे ,
पल भर के वो गुस्से  ,
मुहं चिडाकर बात न करना ,
थोड़ी देर में फिर हुडदंगे ,
खेल खेल में लड़ते लड़ते ,
शाम तलक सब भुलये ,
कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !!
मस्त हुए सब अपनी ही धुन में ,
जाने क्या क्या करते ,
कभी तितलियों के पीछे दोड़े ,
कभी किसी के पीछे ,
न जाने क्या मिलता था उनमे ,
थे जो नासमझी के सपने ,
कभी फुर्सत मिले तो चलना साथ हमारे !
तुमको भी ले चलेंगे अपने बचपन के गलियारे !!

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