ख़ुशी क्या दर्द भी काम आया मेरे।।
एक पल भी जुदा न हुए थे तुमसे,
जुदाई का सबब भी दिखाया तुमने।
चाहतों के लिए रोया करते थे हम,
तुमको पाने के लिए चुप चुप कर रोया मैंने।
आँखों में सपने हमने भी बसाये,
अब टूटे हुए आईने को फिर कैसे सजाए।
मस्त थी वो ज़िंदगी भी अपनी,
जब सबके दिलों में बसा करते थे हम।
जबसे बसाया है दिल में तुम्हे,
सब क्या हम ही दूर हो गए है सबसे।
बेवजह न था जो भी पाया तुमसे।
ख़ुशी क्या दर्द भी काम आया मेरे।।
vidhu
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