तितली
जीवन में कई रंग.……………
Saturday, August 17, 2013
जी चाहे उड़ जाऊ पंछी बनकर
जी चाहे उड़ जाऊ पंछी बनकर
उस नील खुले आसमां के तले
जहाँ कोई रोके ना टोके मुझे
जहाँ ना कोई दीवार सरहदों की हो
जहाँ बंदिशें ना कोई हो
ना धर्म और जाति का भी कोई बंधन हो
बस सबका
एक आसमां हो
एक ही वो चंदा और
एक ही सबका सूरज हो।
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